Kaklik (Alectoris kakelik) — qirgʻovulsimonlar oilasiga mansub qush. Ogʻirligi 370—770 g . Rangi yashaydigan joyiga mos boʻladi. Tumshugʻi, oyoqlari qizil. Narining oyogʻida kichkina toʻmtoq pixi bor. Janubiy Yevropada, Kichik, Oʻrta va Markaziy Osiyoda tarqalgan. Qrimda yoʻqolib ketgan edi, hozir qaytadan iqlimlashtirilmoqda. Oʻrta Osiyo togʻlarida, togʻ yon bagʻirlarida oʻtroq yashaydi. Juda hushyor, tez yuguradi, lekin uzoq masofaga ucholmaydi. Togʻlarda yashashga moslashgan. Kaklik— monogam qush. Martda urchiy boshlaydi. Uyasini toshlar, butalar, oʻtlar ostiga quradi. 6—24 tuxum qoʻyadi. Joʻjasi tuxumdan 20 kunda chiqadi va ertasigayoq ota-onasiga ergashib yuradi. Oʻsimliklarning kurtagi, barglari, don va urugʻlari, hasharotlar, ularning lichinkalari bilan oziklanadi. Goʻshti juda mazali, ovlanadi. Dekorativ sayroqi qush sifatida toʻrqafasda boqiladi.[1]
Kaklik (Alectoris kakelik) — qirgʻovulsimonlar oilasiga mansub qush. Ogʻirligi 370—770 g . Rangi yashaydigan joyiga mos boʻladi. Tumshugʻi, oyoqlari qizil. Narining oyogʻida kichkina toʻmtoq pixi bor. Janubiy Yevropada, Kichik, Oʻrta va Markaziy Osiyoda tarqalgan. Qrimda yoʻqolib ketgan edi, hozir qaytadan iqlimlashtirilmoqda. Oʻrta Osiyo togʻlarida, togʻ yon bagʻirlarida oʻtroq yashaydi. Juda hushyor, tez yuguradi, lekin uzoq masofaga ucholmaydi. Togʻlarda yashashga moslashgan. Kaklik— monogam qush. Martda urchiy boshlaydi. Uyasini toshlar, butalar, oʻtlar ostiga quradi. 6—24 tuxum qoʻyadi. Joʻjasi tuxumdan 20 kunda chiqadi va ertasigayoq ota-onasiga ergashib yuradi. Oʻsimliklarning kurtagi, barglari, don va urugʻlari, hasharotlar, ularning lichinkalari bilan oziklanadi. Goʻshti juda mazali, ovlanadi. Dekorativ sayroqi qush sifatida toʻrqafasda boqiladi.
Alectoris chukarKewê sor, kewê gozel an kewê Kurdistanê (Alectoris chukar kurdestanica) [1], binecureyekî kewan e. Kewî Sor wek balindeyê neteweyî yê Kurdistanê tê dîtin.
Kewê gozel li hemû çiyayên Kurdistanê peyda dibe. Di berbanga sibehê de şiyar dibe, li ser latekî bilind disekîne û dixwîne. Dengê wî pirr xweş e. Künej xayîntiyê hem cinsê wî be qet bi saxî mirov nikare bigire.
Rengê Kewê gozel boz û qehweyiyeka vekirî ye. Li ser cavên xwe de badeke sorik derbas dibe û li pistê serê de bi bozbûna mûyan dibe yek. Heniyê kewê resik e û wek gûsikek cavan çarçove dike. Mûyên pistê bi rengên qehweyiya vekirî ne, lê rengê boçik û yê mûyên di bin basan de boz in. Rengê nikil, ling û derdora cavan sor in.
Kewê zinaran (Alectoris graeca) li çiyayên Alpê de dijî ku nêzî kewê sor e, lê rengê wî cuda ye.
Dengê Kewê gozelê wisa xuya dike:
Bi vî dengî Kewê gozel ji boy kombûne bang li hev dikin. Herwiha, Kewê gozelên nêr vî dengî bikartînin da ku kewên din ên nêr hişyar bikin. Dema ku kew ditirsin û difirin dengekî wek "fir-fir-fir" derdixin. Li gorî lêkolîneran ev deng fonksyona tirsandina dijminên li erdê digire. [2]
Cihê ku kewê gozel dijîn ji Balkanan û Tirkiye (bi taybetî Kurdistan) heta Asyaya Navîn digihêje. Herwiha, kewên gozel li Amerîkaya Bakur, li Hawaii, liZelandaya Nû û li Afrîkayê Başûr hat berdan da ku li wir jî xwe belaw bike. Lewra nêzî 14 cureyên kewê gozelê hene. Li Ewropayê cureyê bi navê A. c. cypriotex li Bulgaristanê, li Ege, li Kreta, li Rodos, li Tirkiye û li Kurdistanê peyda ye. Cureyekî din bi navê A. c. chukar jî li Afganistan, Kaşmîr, Hîmalaya û li Nepalê dije.
Ji 20 heta 40 hêkan dikin. 21 rojan qurp rûdinin, çîcikên wan di roja 24an de derdikevin û bi diya xwe re li xwarinê digerin. Pirr zîrek in, dema mirovan dibînin xwe hema vedişêrin û diya wan hema li nav ningê mirov digere ku çîcikên wê xwe vedişêrin.
Kewê sor, kewê gozel an kewê Kurdistanê (Alectoris chukar kurdestanica) , binecureyekî kewan e. Kewî Sor wek balindeyê neteweyî yê Kurdistanê tê dîtin.
Kewê gozel li hemû çiyayên Kurdistanê peyda dibe. Di berbanga sibehê de şiyar dibe, li ser latekî bilind disekîne û dixwîne. Dengê wî pirr xweş e. Künej xayîntiyê hem cinsê wî be qet bi saxî mirov nikare bigire.
Къуршджэд (лат-бз. Alectoris chukar) — мэзджэд лъэпкъым хыхьэ лӀэужьыгъуэщ.
И инагъкӀэ къуалэм нэхърэ тӀэкӀу нэхъ инщ. Анэр хъум нэхърэ нэхъ цӀыкӀущ икӀи лъэджажэ иӀэкъым. Къешэч г. 450-800; и кӀыхьагъыр см. 32-39. И теплъэр щхъуафэщ, гъуэжьыфэ къыщӀэуэу. НатӀэм къыщыщӀэдзауэ нэхэм ирикӀуэу пщэм и гупэ хъуреягъым кусэ фӀыцӀэ ирокӀуэ. Ныбэ щӀагъыр гъуэжь-хужьыфэщ. Ибгъухэм кусэ гъуабжэ, фӀыцӀэ зэхэлъхэр йохыр.
Мыр Къаукъазым къинэмыщӀауэ, къэрал куэдым щопсэу, псалъэм папщӀэ: Азиэ Курытым, Хъутейм, Ипщэ Къазахъстэным. Гъуэлъыгъуэм анэмрэ хъумрэ тӀурытӀу хэхокӀхэ, джэдыкӀи 7-22 егъэтӀылъ. Махуэ 24 теса яуж къырешыр.
Нэхъыщхьэу я Ӏусыр жылэ, мэракӀуэ, тхьэпэ, пкъыщӀэ, лӀабжьэщӀэкӀэ, нэхъ мащӀэу гъудэбадзэ, бэдж нэмыщӀхэр.
Эрээнхавирга хахилаг, Alectoris chukar, нь Гургуулынхан овгийн шувуу юм.
Тэд бөөрөнхийдүү 32-35 см урт бие, цайвар бор нуруу, саарал цээж, бор шаргалдуу гэдэстэй. Нэрнийхээ дагуу хажуу хавирга нь эрээн судалтай, хөл нь улаан байдаг. Үргэж цочихдоо нисэхээсээ гүйж зугтах ба хэрэгцээтэй үед богино зайд ниснэ.
Эрээнхавирга хахилаг нь Евразиас гаралтай ба Энэтхэгийн хойд хэсэг, Пакистан, Афганистан, зүүн өмнөд Европын зүүн хэсгээр нутаглана. Мөн спорт агнуурын зорилгоор АНУ-н Хадат уул болон Канад, Шинэ Зеландад нэвтрүүлэн оруулж өргөнөөр суурьшсан. Энэхүү шувуу нь хад чулуурхаг, цавчим уулын хуурай энгэр бэлээр нутаглана. Газар үүрээ засаж, 8-20 өндөг гаргадаг. Тэд янз бүрийн ургамлын үр, шавьж зэргээр хооллоно.
Эрээнхавирга хахилаг, Alectoris chukar, нь Гургуулынхан овгийн шувуу юм.
चकोर (अंग्रेजी:Chukar partridge; बैज्ञा.:Alectoris chukar) चिरइन की तीतर-बटेर परिवार क सदस्य पक्षी हवे। एकर शिकार कइल जाला आ ई पाकिस्तान क राष्ट्रीय पक्षी हवे।
एकर नाँव संस्कृत मूल से निकलल हवे आ मानल जाला कि एकर उल्लेख ऋग्वेद की समय से संस्कृत में मिलेला।
चकोर पाकिस्तान क राष्ट्रीय पक्षी हवे। साहित्य में एकर उल्लेख ऋग्वेद की समय (1700 ईपू) से होत आइल बाटे [2] भारतीय क्षेत्रन में आ साहित्य में एके बहुत प्रेमी पक्षी मानल जाला आ ई मान्यता प्रचलित बाटे कि ई रात भर चंद्रमा के निहारत रहेला।[3][4][5] प्रजनन की समय बहुत उग्र सुभाव क होखला की वजह से एके लड़ाकू चिरई की रूप में लडावे खातिर भी पोसल जाला।
चकोर (Chukor or French Partridge, Caccabis chukor) (Chukar) (Alectoris chukar) एक साहित्यिक पक्षी है, जिसके बारे में भारत के कवियों ने यह कल्पना कर रखी है कि यह सारी रात चंद्रमा की ओर ताका करता है और अग्निस्फुलिंगों को चंद्रमा के टुकड़े समझकर चुनता रहता है। इसमें वास्तविकता केवल इतनी है कि कीटभक्षी पक्षी होने के कारण, चकोर चिनगारियों को जुगनू आदि चमकनेवाले कीट समझकर उनपर भले ही चोंच चला दे। लेकिन न तो यह आग के टुकड़े ही खाता है और न निर्निमेष सारी रात चंद्रमा को ताकता ही रहता है। यह पाकिस्तान का राष्ट्रीय पक्षी है।
चकोर पक्षी (Aves) वर्ग के मयूर (Phasianidae) कुल का प्राणी है, जिसकी शिकार किया जाता है। इसका माँस स्वादिष्ट होता है। चकोर मैदान में न रहकर पहाड़ों पर रहना पसंद करता है। यह तीतर से स्वभाव और रहन सहन में बहुत मिलता जुलता है। पालतू हो जाने पर तीतर की भाँति ही अपने मालिक के पीछे-पीछे चलता है। इसके बच्चे अंडे से बाहर आते ही भागने लगते हैं।
चकोर- (साहित्य) परंपराप्राप्त लोकप्रसिद्धि के अनुसार तथा कविसमय को काल्पनिक मान्यताओं के अनुरूप, चकोर चंद्रकिरणों पीकर जीवित रहता है (शांर्गघरपद्धति, १.२३)। इसीलिये इसे "चंद्रिकाजीवन' और "चंद्रिकापायी' भी कहते हैं। प्रवाद है कि वह चंद्रमा का एकांत प्रेमी है और रात भर उसी को एकटक देखा करता है। अँधेरी रातों में चद्रमा और उसकी किरणों के अभाव में वह अंगारों को चंद्रकिरण समझकर चुगता है। चंद्रमा के प्रति उसकी इस प्रसिद्ध मान्यता के आधार पर कवियों द्वारा प्राचीन काल से, अनन्य प्रेम और निष्ठा के उदाहरण स्वरूप चकोर संबंधी उक्तियाँ बराबर की गई हैं। इसका एक नाम विषदशर्नमृत्युक है जिसका आधार यह विश्वास है कि विषयुक्त खाद्य सामाग्री देखते ही उसकी आँखें लाल हो जाती है और वह मर जाता है। कहते हैं, भोजन की परीक्षा के लिये राजा लोग उसे पालते थे।
Chukar at Weltvogelpark Walsrode, Germany
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में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद) चकोर (Chukor or French Partridge, Caccabis chukor) (Chukar) (Alectoris chukar) एक साहित्यिक पक्षी है, जिसके बारे में भारत के कवियों ने यह कल्पना कर रखी है कि यह सारी रात चंद्रमा की ओर ताका करता है और अग्निस्फुलिंगों को चंद्रमा के टुकड़े समझकर चुनता रहता है। इसमें वास्तविकता केवल इतनी है कि कीटभक्षी पक्षी होने के कारण, चकोर चिनगारियों को जुगनू आदि चमकनेवाले कीट समझकर उनपर भले ही चोंच चला दे। लेकिन न तो यह आग के टुकड़े ही खाता है और न निर्निमेष सारी रात चंद्रमा को ताकता ही रहता है। यह पाकिस्तान का राष्ट्रीय पक्षी है।
Birds of Hindustan luchas, called būqalamūn, and partridges Alectoris chukar falkiचकोर पक्षी (Aves) वर्ग के मयूर (Phasianidae) कुल का प्राणी है, जिसकी शिकार किया जाता है। इसका माँस स्वादिष्ट होता है। चकोर मैदान में न रहकर पहाड़ों पर रहना पसंद करता है। यह तीतर से स्वभाव और रहन सहन में बहुत मिलता जुलता है। पालतू हो जाने पर तीतर की भाँति ही अपने मालिक के पीछे-पीछे चलता है। इसके बच्चे अंडे से बाहर आते ही भागने लगते हैं।
चकोर- (साहित्य) परंपराप्राप्त लोकप्रसिद्धि के अनुसार तथा कविसमय को काल्पनिक मान्यताओं के अनुरूप, चकोर चंद्रकिरणों पीकर जीवित रहता है (शांर्गघरपद्धति, १.२३)। इसीलिये इसे "चंद्रिकाजीवन' और "चंद्रिकापायी' भी कहते हैं। प्रवाद है कि वह चंद्रमा का एकांत प्रेमी है और रात भर उसी को एकटक देखा करता है। अँधेरी रातों में चद्रमा और उसकी किरणों के अभाव में वह अंगारों को चंद्रकिरण समझकर चुगता है। चंद्रमा के प्रति उसकी इस प्रसिद्ध मान्यता के आधार पर कवियों द्वारा प्राचीन काल से, अनन्य प्रेम और निष्ठा के उदाहरण स्वरूप चकोर संबंधी उक्तियाँ बराबर की गई हैं। इसका एक नाम विषदशर्नमृत्युक है जिसका आधार यह विश्वास है कि विषयुक्त खाद्य सामाग्री देखते ही उसकी आँखें लाल हो जाती है और वह मर जाता है। कहते हैं, भोजन की परीक्षा के लिये राजा लोग उसे पालते थे।
चकोर (अंग्रेजी:Chukar partridge; बैज्ञा.:Alectoris chukar) चिरइन की तीतर-बटेर परिवार क सदस्य पक्षी हवे। एकर शिकार कइल जाला आ ई पाकिस्तान क राष्ट्रीय पक्षी हवे।
च्याखुरा, चाखुरो, चकोर वा चुकर नेपालमा पाइने एक प्रकारको चराको नाम हो । यसलाई अङ्ग्रेजीमा पनि चुकर पार्ट्रिज (Chukar Partridge) भनिन्छ ।
Chukar at Weltvogelpark Walsrode, Germany
च्याखुरा, चाखुरो, चकोर वा चुकर नेपालमा पाइने एक प्रकारको चराको नाम हो । यसलाई अङ्ग्रेजीमा पनि चुकर पार्ट्रिज (Chukar Partridge) भनिन्छ ।
ਚਕੋਰ ਯੂਰੇਸ਼ੀਆਈ ਪਰਬਤੀ ਤਿੱਤਰ ਪਰਵਾਰ ਦੇ ਇੱਕ ਸ਼ਿਕਾਰੀ ਪੰਛੀ ਦਾ ਸਾਹਿਤਕ ਨਾਮ ਹੈ। 'ਚੰਦ ਤੇ ਚਕੋਰ ਦੀ ਪਰੀਤ ਦਾ ਜ਼ਿਕਰ ਗੁਰਬਾਣੀ ਅਤੇ ਲੋਕ-ਬਾਣੀ, ਦੋਵਾਂ ਵਿੱਚ ਵਾਰ-ਵਾਰ ਆਉਂਦਾ ਹੈ।'[2] ਇਸ ਦੀਆਂ ਟੰਗਾਂ ਲਾਲ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ। ਇਸ ਦੇ ਬਾਰੇ ਵਿੱਚ ਭਾਰਤ ਦੇ ਕਵੀਆਂ ਨੇ ਇਹ ਕਲਪਨਾ ਕਰ ਰੱਖੀ ਹੈ ਕਿ ਇਹ ਚੰਦਰਮਾ ਨੂੰ ਬੇਪਨਾਹ ਮੁਹੱਬਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਸਾਰੀ ਰਾਤ ਉਸਨੂੰ ਹਾਸਲ ਕਰਨ ਲਈ ਉਸ ਵੱਲ ਉੱਡਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ। ਅਤੇ ਕਾਲੀਆਂ ਰਾਤਾਂ ਵਿੱਚ ਚੰਗਿਆੜਿਆਂ ਨੂੰ ਚੰਦ ਦੇ ਟੁਕੜੇ ਸਮਝਕੇ ਚੁਗਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ। ਇਹ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਦਾ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਪੰਛੀ ਹੈ। ਇਸ ਜਾਤੀ ਵਿੱਚ 14 ਛੋਟੀਆਂ ਜਾਤੀਆਂ ਹਨ। ਇਹ ਪੰਛੀ ਇਸਰਾਈਲ, ਤੁਰਕਿਸਤਾਨ, ਅਫ਼ਗਾਨਿਸਤਾਨ, ਪਾਕਿਸਤਾਨ, ਭਾਰਤ, ਉੱਤਰੀ ਅਮਰੀਕਾ ਅਤੇ ਨਿਊਜ਼ੀਲੈਂਡ ਦੇ 600 ਤੋਂ 4000 ਮੀਟਰ ਦੀਆਂ ਉਚਾਈਆਂ ਵਾਲੇ ਪਥਰੀਲੇ ਅਤੇ ਰੇਤੀਲੇ ਇਲਾਕਿਆਂ ਵਿੱਚ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ। ਇਹ ਪੰਛੀ ਸਰਦੀਆਂ ਨੂੰ ਨੀਵੀਂਆਂ ਪਹਾੜੀਆਂ ’ਤੇ ਅਤੇ ਗਰਮੀਆਂ ਵਿੱਚ ਠੰਢੇ ਪਹਾੜੀ ਇਲਾਕਿਆਂ ਵਿੱਚ ਚਲੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਇਸਦਾ ਖਾਣਾ ਦਾਣੇ, ਘਾਹ-ਫੂਸ ਦੀਆਂ ਗੁੱਦੇਦਾਰ ਜੜ੍ਹਾਂ ਅਤੇ ਤਣੇ ਅਤੇ ਕਦੇ-ਕਦੇ ਕੀੜੇ-ਮਕੌੜੇ ਵੀ ਹਨ। ਇਸ ਪੰਛੀ ਨੂੰ ਉੱਡਣ ਨਾਲੋਂ ਭੱਜਣਾ ਬਹੁਤਾ ਚੰਗਾ ਲੱਗਦਾ ਹੈ। ਸ਼ਿਕਾਰੀਆਂ ਤੋਂ ਬਚਣ ਲਈ ਰਾਤ ਨੂੰ ਸੌਣ ਲੱਗੇ ਪਿੱਠਾਂ ਚੱਕਰ ਦੇ ਅੰਦਰ ਅਤੇ ਸਿਰ ਬਾਹਰ ਨੂੰ ਰੜੀ ਥਾਂ ਉੱਤੇ ਇੱਕ ਗੋਲ ਚੱਕਰ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਦੂਜੇ ਨਾਲ ਜੁੜ ਕੇ ਬੈਠਦੇ ਹਨ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਵਾਰੀ-ਵਾਰੀ 4-5 ਪੰਛੀ ਗਰਦਨ ਅਕੜਾ ਚੌਕੰਨੇ ਬੈਠਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਸਾਰੀ ਰਾਤ ਰਾਖੀ ਕਰਦੇੇ ਹਨ।
ਇਹ 35 ਸੈਂਟੀਮੀਟਰ ਲੰਬਾ 600 ਤੋਂ 700 ਗ੍ਰਾਮ ਭਾਰਤ ਵਾਲਾ ਗਠੀਲੇ ਤੇ ਨਿੱਗਰ ਜਿਹੇ ਸਰੀਰ ਵਾਲਾ ਪੰਛੀ ਹੈ। ਇਸ ਦਾ ਰੰਗ ਸਲੇਟੀ-ਭੂਸਲੇ ਜਿਹਾ ਅਤੇ ਘਸਮੈਲੇ-ਸਲੇਟੀ ਚਿੱਟੇ ਸਿਰ ਉੱਤੇ ਇੱਕ ਚਾਕਲੇਟੀ-ਕਾਲੀ ਪੱਟੀ ਅੱਖਾਂ ਦੇ ਉੱਪਰੋਂ ਦੀ ਹੁੰਦੀ ਹੋਈ ਚਿੱਟੀ ਠੋੋਡੀ ਦੇ ਹੇਠਾਂ ਛਾਤੀ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਕਿਸੇ ਹਾਰ ਵਾਂਗ ਬਣੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਦੀਆਂ ਵੱਖੀਆਂ ਉੱਪਰਲੀਆਂ 7-8 ਚਾਕਲੇਟੀ-ਕਾਲੀਆਂ ਪੱਟੀਆਂ ਬਣਿਆ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ। ਖੰਭ ਗੂੜ੍ਹੇ ਸਲੇਟੀ-ਭੂਰੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜਿੰਨਾਂ ਉੱਤੇ ਕੁਝ ਚਿੱਟੀਆਂ ਅਤੇ ਕੁਝ ਭੂਰੀਆਂ ਬਿੰਦੀਆਂ ਜਿਹੀਆਂ ਬਣੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ। ਇਸ ਦਾ ਢਿੱਡ ਵਾਲਾ ਪਾਸਾ ਘਸਮੈਲਾ ਚਿੱਟਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਦੀ ਪੂਛ 14 ਖੰਭਾਂ ਨਾਲ ਬਣੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਚਕੋਰਾਂ ਦੀ ਚੁੰਝ ਅਤੇ ਲੱਤਾਂ ਲਾਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ।
ਬਹਾਰ ਦੇ ਮੌਸਮ ਨਰ ਸਵੇਰੇ ਅਤੇ ਸ਼ਾਮ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਰੌਲਾ ਪਾਉਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਬਹੁਤ ਲੜਾਕੇ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਮਾਦਾ ਕਿਸੇ ਚੱਟਾਨ ਹੇਠ ਜਾਂ ਲੁਕਵੀਂ ਰੜੀ ਥਾਂ ਨੂੰ ਖੁਰਚ ਕੇ ਅਤੇ ਪੋਲਾ ਕਰਕੇ ਆਲ੍ਹਣਾ ਬਣਾਉਂਦੀ ਹੈ। ਮਾਦਾ ਗੁਲਾਬੀ ਚੱਟਾਕ ਵਾਲੇ ਚਿੱਟੇ 10-20 ਅੰਡੇ ਦਿੰਦੀ ਹੈ। ਦੋਨੋ 24 ਦਿਨ 'ਚ ਅੰਡੇ ਸੇਕ ਕੇ ਚੂਚੇ ਕੱਢ ਲੈਂਦੇ ਹਨ ਜੋ ਨਿਕਲਦੇ ਸਾਰ ਕੋਈ 6-7 ਘੰਟਿਆਂ ਵਿੱਚ ਹੀ ਦੌੜਨ-ਭੱਜਣ ਲੱਗ ਪੈਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਹੋਰ ਤਿੰਨ ਹਫ਼ਤਿਆਂ ਵਿੱਚ ਉੱਡਣ ਯੋਗ ਵੀ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ।
ਚਕੋਰ ਯੂਰੇਸ਼ੀਆਈ ਪਰਬਤੀ ਤਿੱਤਰ ਪਰਵਾਰ ਦੇ ਇੱਕ ਸ਼ਿਕਾਰੀ ਪੰਛੀ ਦਾ ਸਾਹਿਤਕ ਨਾਮ ਹੈ। 'ਚੰਦ ਤੇ ਚਕੋਰ ਦੀ ਪਰੀਤ ਦਾ ਜ਼ਿਕਰ ਗੁਰਬਾਣੀ ਅਤੇ ਲੋਕ-ਬਾਣੀ, ਦੋਵਾਂ ਵਿੱਚ ਵਾਰ-ਵਾਰ ਆਉਂਦਾ ਹੈ।' ਇਸ ਦੀਆਂ ਟੰਗਾਂ ਲਾਲ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ। ਇਸ ਦੇ ਬਾਰੇ ਵਿੱਚ ਭਾਰਤ ਦੇ ਕਵੀਆਂ ਨੇ ਇਹ ਕਲਪਨਾ ਕਰ ਰੱਖੀ ਹੈ ਕਿ ਇਹ ਚੰਦਰਮਾ ਨੂੰ ਬੇਪਨਾਹ ਮੁਹੱਬਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਸਾਰੀ ਰਾਤ ਉਸਨੂੰ ਹਾਸਲ ਕਰਨ ਲਈ ਉਸ ਵੱਲ ਉੱਡਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ। ਅਤੇ ਕਾਲੀਆਂ ਰਾਤਾਂ ਵਿੱਚ ਚੰਗਿਆੜਿਆਂ ਨੂੰ ਚੰਦ ਦੇ ਟੁਕੜੇ ਸਮਝਕੇ ਚੁਗਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ। ਇਹ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਦਾ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਪੰਛੀ ਹੈ। ਇਸ ਜਾਤੀ ਵਿੱਚ 14 ਛੋਟੀਆਂ ਜਾਤੀਆਂ ਹਨ। ਇਹ ਪੰਛੀ ਇਸਰਾਈਲ, ਤੁਰਕਿਸਤਾਨ, ਅਫ਼ਗਾਨਿਸਤਾਨ, ਪਾਕਿਸਤਾਨ, ਭਾਰਤ, ਉੱਤਰੀ ਅਮਰੀਕਾ ਅਤੇ ਨਿਊਜ਼ੀਲੈਂਡ ਦੇ 600 ਤੋਂ 4000 ਮੀਟਰ ਦੀਆਂ ਉਚਾਈਆਂ ਵਾਲੇ ਪਥਰੀਲੇ ਅਤੇ ਰੇਤੀਲੇ ਇਲਾਕਿਆਂ ਵਿੱਚ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ। ਇਹ ਪੰਛੀ ਸਰਦੀਆਂ ਨੂੰ ਨੀਵੀਂਆਂ ਪਹਾੜੀਆਂ ’ਤੇ ਅਤੇ ਗਰਮੀਆਂ ਵਿੱਚ ਠੰਢੇ ਪਹਾੜੀ ਇਲਾਕਿਆਂ ਵਿੱਚ ਚਲੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਇਸਦਾ ਖਾਣਾ ਦਾਣੇ, ਘਾਹ-ਫੂਸ ਦੀਆਂ ਗੁੱਦੇਦਾਰ ਜੜ੍ਹਾਂ ਅਤੇ ਤਣੇ ਅਤੇ ਕਦੇ-ਕਦੇ ਕੀੜੇ-ਮਕੌੜੇ ਵੀ ਹਨ। ਇਸ ਪੰਛੀ ਨੂੰ ਉੱਡਣ ਨਾਲੋਂ ਭੱਜਣਾ ਬਹੁਤਾ ਚੰਗਾ ਲੱਗਦਾ ਹੈ। ਸ਼ਿਕਾਰੀਆਂ ਤੋਂ ਬਚਣ ਲਈ ਰਾਤ ਨੂੰ ਸੌਣ ਲੱਗੇ ਪਿੱਠਾਂ ਚੱਕਰ ਦੇ ਅੰਦਰ ਅਤੇ ਸਿਰ ਬਾਹਰ ਨੂੰ ਰੜੀ ਥਾਂ ਉੱਤੇ ਇੱਕ ਗੋਲ ਚੱਕਰ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਦੂਜੇ ਨਾਲ ਜੁੜ ਕੇ ਬੈਠਦੇ ਹਨ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਵਾਰੀ-ਵਾਰੀ 4-5 ਪੰਛੀ ਗਰਦਨ ਅਕੜਾ ਚੌਕੰਨੇ ਬੈਠਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਸਾਰੀ ਰਾਤ ਰਾਖੀ ਕਰਦੇੇ ਹਨ।