संजीवनी एक वनस्पति का नाम है जिसका उपयोग चिकित्सा कार्य के लिये किया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम सेलाजिनेला ब्राहपटेर्सिस है और इसकी उत्पत्ति लगभग तीस अरब वर्ष पहले कार्बोनिफेरस युग से मानी जाती हैं। लखनऊ स्थित वनस्पति अनुसंधान संस्थान में संजीवनी बूटी के जीन की पहचान पर कार्य कर रहे पाँच वनस्पति वैज्ञानिको में से एक डॉ॰ पी.एन. खरे के अनुसार संजीवनी का सम्बंध पौधों के टेरीडोफिया समूह से है, जो पृथ्वी पर पैदा होने वाले संवहनी पौधे थे। उन्होंने बताया कि नमी नहीं मिलने पर संजीवनी मुरझाकर पपड़ी जैसी हो जाती है लेकिन इसके बावजूद यह जीवित रहती है और बाद में थोड़ी सी ही नमी मिलने पर यह फिर से खिल जाती है। यह पत्थरों तथा शुष्क सतह पर भी उग सकती है।[1] इसके इसी गुण के कारण वैज्ञानिक इस बात की गहराई से जाँच कर रहे है कि आखिर संजीवनी में ऐसा कौन सा जीन पाया जाता है जो इसे अन्य पौधों से अलग बनाता और इसे विषेष दर्जा प्रदान करता है। हालाँकि वैज्ञानिकों का कहना है कि इसकी असली पहचान भी काफी कठिन है क्योंकि जंगलों में इसके समान ही अनेक ऐसे पौधे और वनस्पतियाँ उगती है जिनसे आसानी से धोखा खाया जा सकता है। मगर कहा जाता है कि चार इंच के आकार वाली संजीवनी लम्बाई में बढ़ने के बजाए सतह पर फैलती है।
यह उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड और उड़ीसा सहित भारत के लगभग सभी राज्यों में पाई जाती है। [2] संजीवनी का उल्लेख पुराणों में भी है। आयुर्वेद में इसके औषधीय लाभों के बारे में वर्णन है। यह न सिर्फ पेट के रोगों में बल्कि मानव की लंबाई बढ़ाने में भी सहायक होती है।[3]
आजकल इस के बारे मे कूछ भ्रान्तिया फैलाई जा रही है की "गरुड़ संजीवनी बूटी के नाम से एक प्रसिद्ध बूटी का पता चला है जो पानी की दिशा से उलटी बहती है अर्थात सामान्यता वस्तुएं पानी के साथ बहती है गरुड़ संजीवनी बूटी सदैव पानी के विपरीत दिशा में बहती है जो इसकी बनावट केे या विशिष्ट आकार केेेे कारण संभव है।" जिसकी जानकारी हमे Dexter ने दी।
रामायण में भी संजीवनी बूटी का वर्णन देखने को मिलता है। जब रामायण में लक्ष्मण जी मुर्छित हो गये थे, उस समय उनके जीवन को बचाने के लिए हनुमान जी पूरा का पूरा पर्वत उठाकर ले आए थे। पूरा पर्वत उठाने के पीछे कारण यह था कि हनुमान जी को संजीवनी बूटी की पहचान नही थी. इसलिए उन्होंने लक्ष्मण जी की जान बचाने के लिए पूरा पर्वत ही उठा लिया था।[4]
संजीवनी बूटी का रहस्या सुषेण वैध को पता था इसलिए हनुमान जी उनको उनकी कुटिया सहित उठा लाए थे, सुषेण वैध जी ने शिव की तपस्या करके उनसे अमर होने का वरदान मांगा था लेकिन शिव ने कहा यह संभव नहीं लेकिन मैं तुम्हें संजीवनी विद्या के बारे में बता सकता हूं। तब उन्हें संजीवनी बूटी की विद्या का ज्ञान हुआ था।[5]
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में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद) |access-date=
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में बाहरी कड़ी (मदद) संजीवनी एक वनस्पति का नाम है जिसका उपयोग चिकित्सा कार्य के लिये किया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम सेलाजिनेला ब्राहपटेर्सिस है और इसकी उत्पत्ति लगभग तीस अरब वर्ष पहले कार्बोनिफेरस युग से मानी जाती हैं। लखनऊ स्थित वनस्पति अनुसंधान संस्थान में संजीवनी बूटी के जीन की पहचान पर कार्य कर रहे पाँच वनस्पति वैज्ञानिको में से एक डॉ॰ पी.एन. खरे के अनुसार संजीवनी का सम्बंध पौधों के टेरीडोफिया समूह से है, जो पृथ्वी पर पैदा होने वाले संवहनी पौधे थे। उन्होंने बताया कि नमी नहीं मिलने पर संजीवनी मुरझाकर पपड़ी जैसी हो जाती है लेकिन इसके बावजूद यह जीवित रहती है और बाद में थोड़ी सी ही नमी मिलने पर यह फिर से खिल जाती है। यह पत्थरों तथा शुष्क सतह पर भी उग सकती है। इसके इसी गुण के कारण वैज्ञानिक इस बात की गहराई से जाँच कर रहे है कि आखिर संजीवनी में ऐसा कौन सा जीन पाया जाता है जो इसे अन्य पौधों से अलग बनाता और इसे विषेष दर्जा प्रदान करता है। हालाँकि वैज्ञानिकों का कहना है कि इसकी असली पहचान भी काफी कठिन है क्योंकि जंगलों में इसके समान ही अनेक ऐसे पौधे और वनस्पतियाँ उगती है जिनसे आसानी से धोखा खाया जा सकता है। मगर कहा जाता है कि चार इंच के आकार वाली संजीवनी लम्बाई में बढ़ने के बजाए सतह पर फैलती है।
संजीवनी के लिये हनुमान जी ने हिमालय को ही उठा लिया और लंका लायेयह उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड और उड़ीसा सहित भारत के लगभग सभी राज्यों में पाई जाती है। संजीवनी का उल्लेख पुराणों में भी है। आयुर्वेद में इसके औषधीय लाभों के बारे में वर्णन है। यह न सिर्फ पेट के रोगों में बल्कि मानव की लंबाई बढ़ाने में भी सहायक होती है।
आजकल इस के बारे मे कूछ भ्रान्तिया फैलाई जा रही है की "गरुड़ संजीवनी बूटी के नाम से एक प्रसिद्ध बूटी का पता चला है जो पानी की दिशा से उलटी बहती है अर्थात सामान्यता वस्तुएं पानी के साथ बहती है गरुड़ संजीवनी बूटी सदैव पानी के विपरीत दिशा में बहती है जो इसकी बनावट केे या विशिष्ट आकार केेेे कारण संभव है।" जिसकी जानकारी हमे Dexter ने दी।