स्ट्रेप्टोमाइसीस (Streptomyces) ऐक्टीनोबैक्टीरिया का सबसे विस्तृत जीववैज्ञानिक वंश है, और इसमें 500 से अधिक बैक्टीरिया जातियाँ सम्मिलित हैं, जिन्हें सामूहिक रूप से स्ट्रेप्टोमाइसीट (streptomycetes) कहा जाता है।[1] अन्य ऐक्टीनोबैक्टीरिया की तरह स्ट्रेप्टोमाइसीट भी ग्राम-धनात्मक होते हैं, और इनके जीनोम में गुआनिन-साइटोसिन की मात्रा अधिक पाई जाती है। स्ट्रेप्टोमाइसीट मिट्टी और अपघटित होते वनस्पतियों में बहुत मिलते हैं। अपने प्रजनन और फैलाव के लिए यह बीजाणु (स्पोर) बनाते हैं, जिनमें जियोस्मिन (geosmin) नामक रसायन की मौजूदगी के कारण एक स्पष्ट "मिट्टी-जैसी" गंध आती है।[2]
स्ट्रेप्टोमाइसीट चिकित्साशास्त्र और औषधशास्त्र में बहुत महत्वपूर्ण हैं। बैक्टीरिया संक्रमण (इनफ़ेक्शन) के उपचार में प्रयोग होने वाले प्राकृतिक स्रोतों से उपलब्ध दो-तिहाई प्रतिजैविक (ऐंटीबायोटिक) स्ट्रेप्टोमाइसीट द्वारा निर्मित होते हैं, जिसमें नियोमाइसिन, सिपेमाइसिन, ग्रिपेमाइसिन, बोट्रोमाइसिन और क्लोरम्फ़ेनिकोल शामिल हैं। प्रसिद्ध स्ट्रेप्टोमाइसिन नामक प्रतिजैविक दवाई स्ट्रेप्टोमाइसीट द्वारा ही बनाई जाती थी और इसका नाम इसी बैक्टीरिया पर रखा गया था, हालांकि अब इसे कम प्रयोग किया जाता है। अधिकांश स्ट्रेप्टोमाइसीट रोगजनक नहीं हैं, हालांकि कुछ जातियाँ मानवों में रोग की कारण होती हैं।[3][4]
स्ट्रेप्टोमाइसीस (Streptomyces) ऐक्टीनोबैक्टीरिया का सबसे विस्तृत जीववैज्ञानिक वंश है, और इसमें 500 से अधिक बैक्टीरिया जातियाँ सम्मिलित हैं, जिन्हें सामूहिक रूप से स्ट्रेप्टोमाइसीट (streptomycetes) कहा जाता है। अन्य ऐक्टीनोबैक्टीरिया की तरह स्ट्रेप्टोमाइसीट भी ग्राम-धनात्मक होते हैं, और इनके जीनोम में गुआनिन-साइटोसिन की मात्रा अधिक पाई जाती है। स्ट्रेप्टोमाइसीट मिट्टी और अपघटित होते वनस्पतियों में बहुत मिलते हैं। अपने प्रजनन और फैलाव के लिए यह बीजाणु (स्पोर) बनाते हैं, जिनमें जियोस्मिन (geosmin) नामक रसायन की मौजूदगी के कारण एक स्पष्ट "मिट्टी-जैसी" गंध आती है।
स्ट्रेप्टोमाइसीट चिकित्साशास्त्र और औषधशास्त्र में बहुत महत्वपूर्ण हैं। बैक्टीरिया संक्रमण (इनफ़ेक्शन) के उपचार में प्रयोग होने वाले प्राकृतिक स्रोतों से उपलब्ध दो-तिहाई प्रतिजैविक (ऐंटीबायोटिक) स्ट्रेप्टोमाइसीट द्वारा निर्मित होते हैं, जिसमें नियोमाइसिन, सिपेमाइसिन, ग्रिपेमाइसिन, बोट्रोमाइसिन और क्लोरम्फ़ेनिकोल शामिल हैं। प्रसिद्ध स्ट्रेप्टोमाइसिन नामक प्रतिजैविक दवाई स्ट्रेप्टोमाइसीट द्वारा ही बनाई जाती थी और इसका नाम इसी बैक्टीरिया पर रखा गया था, हालांकि अब इसे कम प्रयोग किया जाता है। अधिकांश स्ट्रेप्टोमाइसीट रोगजनक नहीं हैं, हालांकि कुछ जातियाँ मानवों में रोग की कारण होती हैं।